Teen Kavitayein

कुछ वक़्त

कुछ वक़्त,
जो पीछे छूट गया,
कुछ वक़्त,
जो आने वाला है,
इन दोनों के फासलों के बीच,
कुछ वक़्त,
जो ठहर सा गया है,
इसी ठहरे हुए वक़्त में,
काश तुम पलकों पे कभी,
यूँ ही आ जाते,
नींद में ही सही,
ख़्वाबों में दो पल,
बस, यूँ ही मुस्कुराते,
तो शायद, हम
अपनी बेख़ुदी छोड़,
कुछ वक़्त
और जी पाते।

– 19.04.2018

ऐसे मिले हम तुम से

ऐसे मिले हम तुम से,
कि इश्क़ करने की,
वजह भूल गए।

जो पास आए तुम्हारे,
तेरी छूई हर चीज़ से,
मोहब्बत करने लगे।

तुम्हें देखा जब,
किसी गैर के साथ,
कसम खुदा की,
जल कर कितनी बार
हम यूं ही मर गए।

कहा नहीं कभी,
हमने तुम से,
पर हम तो तेरी बेरुख़ी के भी
कायल बन गए।

– 26.10.2017


बेजुबां

इतनी मोहब्बत हम तुम से करने लगे, कि तुम्हे बिन बताये, हम तुम पे मरने लगे।

उम्मीद नहीं
तुमसे मिलने की कभी, पर ख्वाबों में ही, हम तुम से मिलने लगे।

शिकवे और शिकायतें, अब तो जैसे, करना ही भूल गए, हम तो इस बेरुखी को भी आपकी अदा समझने लगे।

– 18. 10.2017

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Published by Vivek Kumar Verma

Investment Banking Lawyer | Photographer & Blogger | Connoisseur of Food | Poet

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